ओपिओइड्स एक प्रकार की दर्द निवारक दवाएं होती हैं, जिनमें मॉर्फिन, फेंटानिल, हेरोइन और कोडीन शामिल हैं। ये दवाएं न केवल दर्द को कम करती हैं बल्कि श्वसन प्रणाली को भी दबा देती हैं, जिससे सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। इनका उपयोग ज्यादातर नशे के लिए होता है।
हर साल लगभग दुनियाभर में औसतन 1 लाख लोग ओपिओइड की ओवरडोज से मरते है, आज के समय में ओपिओइड ड्रग्स का उपयोग बहुत ज्यादा हो रहा है, जिससे ओवरडोज़ की घटनाएं बढ़ रही हैं। खासकर अमेरिका और कनाडा में, जहां फेंटानिल जैसे खतरनाक ओपिओइड का उपयोग हो रहा है। ओपिओइड्स के कारण श्वसन रुक सकता है, जिससे ऑक्सीजन का स्तर गिर जाता है और यदि समय पर इलाज न मिले तो व्यक्ति की मौत हो सकती है।
अब वैज्ञानिकों ने एक नया तरीका ढूंढ निकाला है जिससे ओवरडोज़ की घटनाओं को रोका जा सके। नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक जॉन रॉजर्स और उनकी टीम ने एक ऐसा उपकरण बनाया है जिसे शरीर के अंदर लगाया जा सकता है। यह उपकरण ओवरडोज़ की स्थिति में खुद ही एंटी-ड्रग (एन्टिडोट) रिलीज कर देता है।
कैसे काम करता है यह उपकरण?
यह उपकरण एक छोटे से पेसमेकर जैसा होता है जिसे त्वचा के नीचे लगाया जाता है। इसके अंदर एक सेंसर होता है जो खून में ऑक्सीजन के स्तर को मॉनिटर करता है। यदि ऑक्सीजन का स्तर बहुत गिर जाता है, तो यह उपकरण खुद ही नालोक्सोन नामक दवा (नालोक्सोन एक एंटी-ड्रग है जो ओपिओइड्स के प्रभाव को तुरंत समाप्त कर देती है। इसे इंजेक्शन या नेसल स्प्रे के रूप में दिया जा सकता है।) को इंजेक्ट कर देता है जो ओपिओइड का असर खत्म कर देती है।
यह उपकरण एक बैटरी से चलता है जिसे वायरलेस तरीके से रिचार्ज किया जा सकता है। यह उपकरण लगभग 1 सेंटीमीटर मोटा, 3 सेंटीमीटर चौड़ा और 4 सेंटीमीटर लंबा होता है।
परीक्षण और सफलता
इस उपकरण का परीक्षण पिग्स पर किया गया है और यह ओवरडोज़ को 1 मिनट के अंदर पहचानकर नालोक्सोन इंजेक्ट कर देता है। परीक्षण के दौरान देखा गया कि ओवरडोज़ का इलाज काफी सफल रहा और पिग्स की सेहत पर कोई लंबी अवधि का प्रभाव नहीं पड़ा।
उपकरण के लाभ और चुनौतियां
इस उपकरण का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह उन लोगों के लिए जीवन रक्षक हो सकता है जो अकेले रहते हैं और ओवरडोज़ का शिकार हो जाते हैं।
लेकिन, कुछ चुनौतियां भी हैं। जो लोग अवैध ड्रग्स का उपयोग करते हैं, वे शायद इस उपकरण को लगवाना नहीं चाहेंगे। इसके अलावा, लंबे समय से ओपिओइड का उपयोग करने वाले लोगों का ऑक्सीजन स्तर काफी कम हो सकता है, जिससे सही समय पर दवा देने में कठिनाई हो सकती है।
इस उपकरण को लगाने और निकालने में भी खर्चा आता है, और लोग इसे खुद से निकालने की कोशिश कर सकते हैं।
निष्कर्ष
इस उपकरण का आविष्कार एक बेहतरीन विचार है और यह उन लोगों की जान बचा सकता है जो ओपिओइड ओवरडोज़ का शिकार होते हैं। हालांकि, इसके उपयोग और प्रभावशीलता को लेकर अभी भी कुछ चुनौतियां हैं जिन्हें सुलझाना बाकी है।
इस तरह के नवाचार से हमें उम्मीद है कि ओपिओइड ओवरडोज़ की घटनाओं को कम किया जा सकेगा और लोगों की जान बचाई जा सकेगी। अगर यह उपकरण व्यापक रूप से उपलब्ध हो जाए, तो यह एक बड़ा कदम हो सकता है ओपिओइड महामारी के खिलाफ।
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