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आईवीएफ पीजीटी के माध्यम से संभव है मनचाहे लिंग का बच्चा, जानिए कैसे?


आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) और पीजीटी (प्री-इम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग) प्रजनन चिकित्सा के क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों में से एक हैं। इन तकनीकों का उपयोग उन जोड़ों के लिए किया जाता है जिन्हें स्वाभाविक रूप से संतान प्राप्ति में कठिनाई होती है। हालाँकि, इन प्रक्रियाओं के माध्यम से लिंग चयन का मुद्दा एक महत्वपूर्ण विवाद का विषय बना हुआ है। विशेष रूप से भारत जैसे देश में, जहाँ सांस्कृतिक और सामाजिक कारणों से लिंग चयन एक संवेदनशील मुद्दा है, इस पर गहन चर्चा की आवश्यकता है


आईवीएफ और पीजीटी क्या हैं?
ईवीएफ एक प्रक्रिया है जिसमें अंडाणु और शुक्राणु को शरीर के बाहर निषेचित किया जाता है और फिर भ्रूण को गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। पीजीटी का उपयोग उन भ्रूणों की जाँच के लिए किया जाता है जो आनुवांशिक विकारों के जोखिम में होते हैं। यह प्रक्रिया भ्रूण के लिंग का निर्धारण भी कर सकती है, जिसे कई बार परिवार नियोजन के लिए उपयोग किया जाता है।
लिंग चयन के लाभ

1.आनुवांशिक विकारों की रोकथाम: यदि किसी परिवार में लिंग-विशिष्ट आनुवांशिक विकार का इतिहास है, तो लिंग चयन के माध्यम से इन विकारों को रोका जा सकता है।

2.संतुलित परिवार: कुछ परिवार एक बेटा और एक बेटी चाहते हैं ताकि उनका परिवार संतुलित हो सके।

भारत में चुनौतियाँ

1. कानूनी बाधाएँ: भारत में प्री-कॉन्सेप्शन और प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक्स (PCPNDT) एक्ट के तहत लिंग चयन पर सख्त प्रतिबंध है। इस कानून का उद्देश्य भ्रूण हत्या और लिंगानुपात में असंतुलन को रोकना है।

2.सांस्कृतिक और सामाजिक दबाव: भारत में पारंपरिक दृष्टिकोण और पुरुष प्रधान समाज के कारण, कुछ परिवार बेटों की चाहत रखते हैं, जिससे लड़कियों का लिंगानुपात घट सकता है

निष्कर्ष

भले ही यह भारत में प्रतिबंधित हो लेकिन अन्य देशो मे यह प्रतिबंधित नही है जैसे थाइलेंड,UAE, USA, Russia में प्रतिबंधित नही है। भारत में प्रतिबंधित होने के कारण, कई समृद्ध भारतीय परिवार संतुलन के लिए विदेश जाते हैं। वे उन देशों में जाते हैं जहां यह प्रक्रिया कानूनी है, जैसे कि थाईलैंड या अन्य पश्चिमी देश। वहां वे आईवीएफ और पीजीटी-ए प्रक्रिया का लाभ उठाते हैं और अपने मनचाहे लिंग के बच्चे का चयन करते हैं। 

भारत का गरीब व मध्यमवर्गीय तबका इससे वंचित है, फलस्वरूप इन परिवारो में परिवार संतुलन का अभाव है, कुछ परिवारो में लड़के के जन्म के इंतजार मे कई लड़कियो को जन्म दिया जाता है जबकि कुछ परिवारो मे लड़की की चाहत में कई लड़को को जन्म दिया जाता है जिससे ना सिर्फ परिवार बड़ा व जनसंख्या वृदि होती है बल्कि गरीबी व आर्थिक तंगी के कारण बच्चो का भरण पोषण व जीवन की गरिमा भी प्रभावित होती है

भारत सरकार को अपनी 2 Child Policy को सफल बनाने के लिए PCPNDT ACT में संशोधन कर इस तकनीक को कुछ शर्तो के साथ अनुमति प्रदान करने पर पुर्नविचार करना चाहिए जैसे की

1. केवल उन्ही दम्पति को इसकी अनुमति दी जाए जिनके पहले एक बच्चा हो चुका हो

2. जिन दम्पति के पहले लड़का हो रखा है उन्ही दूसरे बच्चे के रूप मे सिर्फ लड़की के चुनाव के लिए अनुमति प्रदान की जाये और जिन दम्पति के पहले लडकी हो उन्हे दूसरे बच्चे के लिए सिर्फ लडकी के चुनाव की अनुमति दी जाये

उक्त उपायो के द्वारा ना केवल जनसंख्या नियंत्रण होगा बल्कि परिवार संतुलन व लिंगानुपात भी बना रहेगा तथा माता - पिता तथा बच्चो के जीवन की गरिमा भी बनी रहेगी


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