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जिद्दु कृष्णमूर्ति: एक कम आंके गए भारतीय दार्शनिक

भारत की धरती ने अनेक महान दार्शनिकों और संतों को जन्म दिया है, जिन्होंने अपनी अद्वितीय सोच और गहन विचारधारा से विश्वभर को प्रभावित किया है। ऐसे ही एक कम आंके गए लेकिन अत्यंत प्रभावशाली दार्शनिक थे जिद्दु कृष्णमूर्ति। उनकी विचारधारा और शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं और मानवता को आत्म-अन्वेषण की दिशा में प्रेरित करती हैं।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
जिद्दु कृष्णमूर्ति का जन्म 11 मई 1895 को मद्रास (अब चेन्नई) के निकट एक छोटे से गांव में हुआ था। उन्हें थियोसोफिकल सोसाइटी द्वारा बहुत कम उम्र में ही 'विश्व शिक्षक' के रूप में चुना गया। उनके विचारों और शिक्षाओं का प्रसार करने के लिए उन्हें विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया। लेकिन जैसे-जैसे उन्होंने आत्म-अन्वेषण किया, उन्होंने खुद को किसी भी संगठन या अनुशासन से अलग कर लिया और स्वतंत्र रूप से अपनी दार्शनिक धारा को विकसित किया।

स्वतंत्रता और आत्म-ज्ञान
कृष्णमूर्ति की मुख्य शिक्षाओं में स्वतंत्रता और आत्म-ज्ञान का विचार प्रमुख था। उनका मानना था कि सच्चाई को बाहरी गुरुओं या धार्मिक ग्रंथों में नहीं, बल्कि स्वयं के अंदर खोजा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "सच्चाई एक मार्ग है, जो बिना किसी गुरु या धार्मिक पुस्तक के आपके स्वयं के अनुभव से होकर जाता है।" उनके अनुसार, मानसिक स्वतंत्रता ही वास्तविक मुक्ति है।

शिक्षा का नया दृष्टिकोण
कृष्णमूर्ति ने शिक्षा पर भी गहरा प्रभाव डाला। उन्होंने पारंपरिक शिक्षा के साथ-साथ स्वतंत्र विचार, आत्म-अन्वेषण, और समझ विकसित करने पर जोर दिया गया। उनका मानना था कि शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ नौकरी पाना नहीं, बल्कि मनुष्य को सम्पूर्ण रूप से समझना और विकसित करना होना चाहिए। उनके स्कूलों में छात्र-छात्राओं को सोचने और सवाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था, जिससे वे स्वतंत्र और सृजनात्मक रूप से सोच सकें।

धर्म और समाज पर विचार
कृष्णमूर्ति ने धर्म और समाज के बारे में भी गहन विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने हमेशा इस बात पर जोर दिया कि धर्म कोई विश्वास प्रणाली नहीं होनी चाहिए, बल्कि एक जीवन शैली होनी चाहिए जो मनुष्य को उसके वास्तविक स्वरूप की ओर ले जाए। उन्होंने धार्मिक अनुष्ठानों और परंपराओं की आलोचना की, जो मनुष्य को मानसिक रूप से बांधते हैं और सच्चाई की खोज से दूर करते हैं।


जिद्दु कृष्णमूर्ति एक ऐसे दार्शनिक थे, जिन्होंने अपनी अद्वितीय सोच और विचारधारा से मानवता को आत्म-अन्वेषण और स्वतंत्रता की दिशा में प्रेरित किया। उनकी शिक्षाएं आज भी अत्यंत प्रासंगिक हैं और लोगों को उनके भीतर छिपी संभावनाओं को खोजने और समझने के लिए प्रेरित करती हैं। उनकी विचारधारा को समझना और अपनाना हमें एक स्वतंत्र, समृद्ध और सृजनात्मक जीवन की ओर ले जा सकता है।

इस प्रकार, जिद्दु कृष्णमूर्ति न केवल भारतीय दर्शन के क्षेत्र में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उनकी शिक्षाओं और विचारों को अपनाकर हम अपने जीवन में एक नई दिशा और गहनता पा सकते हैं।

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